आगामी 21 और 22 जून दो दिवसीय तीसरा कुमाउँनी भाषा सम्मेलन
तैयारी को लेकर विभिन्न विषयों पर चर्चा

आगामी 21 और 22 जून को होने वाली दो दिवसीय कुमाउँनी भाषा सम्मेलन के संबंध में नगर पालिका सभागार में एक बैठक आयोजित की गई। गौरबलब है कि आदलि कुशलि कुमाउँनी मासिक पत्रिका के तत्वावधान में पिछले दो वर्षो से कुमाउँनी भाषा सम्मेलन आयोजित किया जाता रहा है। जिसमें कुमाउँनी साहित्यकारों के साथ ही नेपाली, गढ़वाली साहित्यकार, भाषाविद व लोक कलाकारों द्वारा भी सम्मेलन में प्रतिभाग करते हैं।
इस वर्ष होने वाले सम्मेलन को सफल बनाने के लिए आयोजित हुई बैठक में उपस्थित लोगों ने सम्मेलन को सफल बनाने के लिए अपने अपने सुझाव प्रस्तुत किए, जिसमें शिक्षक महेश पुनेठा ने कहा कम औपचारिकता के साथ बातचीत के सत्र कम हों और जिन विषयों पर बातचीत हो वह ठोस हों। अन्य जनपदों से आने वाले साहित्यकारों की बातचीत को अधिक सुना जाए। लोक साहित्य और वर्तमान साहित्य के साथ ही वास्तविक लोक कलाकारों, लोक गायकों और बच्चों के साथ बातचीत होनी चाहिए, जिससे वास्तविक तथ्य उभरकर सामने आयेंगे। डा.आशा जोशी ने कहा कि नुक्कड़ नाटक द्वारा अपनी बोली भाषा और संस्कृति को प्रचारित करने का संदेश दिया जाना भी सम्मेलन का हिस्सा हो। डा.भुवन जोशी ने कहा लोगों को अपनी बोली, भाषा के प्रति लगाव हो इस हेतु बातचीत के साथ ही सम्मेलन को रोचक बनाना चाहिए।
नेपाली साहित्यकार महेश बराल ने कहा नेपाल और कुमाऊँ की संस्कृति एक है इसलिए नेपाली साहित्य व साहित्यकारों को भी सम्मेलन का हिस्सा बनाना चाहिए। नाधभेद संगीत अकादमी के संस्थापक रवि शास्त्री ने कहा लोक विधाओं पर होने वाली चर्चा लोक कलाकार ही करें तो वास्तवित तथ्य सामने आयेंगे । साहित्यकार और पूर्व सैनिक नरेन्द्र चंद ने कहा यदि सामाजिक संस्थाएं संगठित होकर सामाजिक कार्य करेंगी तो कोई भी सामाजिक कार्य सरलता से किया जा सकता है। देवकी नंदन जोशी ने कहा कार्यक्रम में औपचारिकतायें कम हों। बैठक में जितेन्द्र तिवारी, मथुरादत्त चौंसाली, धनी राम चन्याल, रविशंकर, होशियार सिंह, रोहित यादव, हेमराज मेहता सहित कई लोग उपस्थित थे। इस दौरान पत्रिका की संपादक और सम्मेलन की आयोजक डा. सरस्वती कोहली ने आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी से अपील की।
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