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आदि कैलास पर्वत आरोहण, सीबीटीएस टीम ने शिखर से 60 मीटर नीचे फहराया तिरंगा

अक्टूबर 2004 को आदि कैलाश की पहली सफल चढ़ाई

उच्च हिमालयी क्षेत्र समुद्रतल से 5925 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पिथौरागढ़ के धारचूला विकासखंड के व्यास घाटी के आदि कैलास पर्वत आरोहण करने में सीबीटीएस टीम ने सफलता हासिल करते हुए अंतिम शिखर से 60 मीटर नीचे तिरंगा फहराया। आदि कैलास पर्वत की पवित्रता के सम्मान में टीम द्वारा अंतिम शिखर तक चढ़ाई नहीं करने का फैसला लिया गया। दल के सफल आरोहण के लिए पर्वतारोहियों ने सदस्यों को शुभकामनाएं दी हैं।

 

बता दें कि बीते सात मई को छह सदस्यीय पर्वतारोहण की टीम ने धारचूला से अभियान की शुरूआत की। दस मई को टीम ने 4600 मीटर में बेस कैम्प स्थापित किया और 13 मई को 5100 मीटर स्थित एडवांस बेस कैंप स्थापित किया। इसके बाद तीन सदस्यीय पर्वतारोही दल 17 मई की सुबह तीन बजे अल्पाइन स्टाइल में एडवांस बेस कैंप से आदि कैलास शिखर के लिए रवाना हुआ और प्रातः 10.40 बजे आदि कैलाश पर्वत शिखर से अंतिम 60 मीटर नीचे पहुंच गया और टीम ने कैलास पर्वत की पवित्रता का सम्मान करते हुए इससे आगे चढ़ाई नहीं चढ़ने का फैसला लिया और इसी स्थान पर तिरंगा फहराकर आदि कैलास के दर्शन किए।

 

टीम लीडर योगेश गर्ब्याल ने बताया कि आदि कैलाश रेंज में अल्पाइन स्टाइल क्लाइंबिंग के अभ्यास के दौरान टीम ने आदि कैलाश पर्वत की सेफ क्लाइंबिंग रूट्स को ढूंढने में सफलता पाई है। तीन सदस्यीय दल में योगेश गर्ब्याल के अलावा कला बडा़ल और मीनाक्षी रावत भी शामिल थे। उन्होंने बताया कि चोटी से पार्वती ताल का सुंदर दृश्य और इस रेंज के चिपेदंग, राजेज्यू, ब्रह्मा पर्वत, ईशान पर्वत के अलावा नंपा, अपी और कैलाश पर्वत के भी सुंदर दर्शन होते हैं।

 

— कला बड़ाल टीम सदस्य ने बताया कि वर्ष 2021 में सीबीटीएस की महिला टीम ने भी आदि कैलाश क्षेत्र में सेला पास स्थित चिपेंद चोटी पर तिंरगा फहराया था। जिसकी ऊंचाई 6120 मीटर है। उन्होंने दावा किया कि पहली बार किसी भारतीय द्वारा इस चोटी पर सफल आरोहण किया गया। इससे पूर्व भी सीबीडीएस टीम द्वारा कैलाश रेंज मे स्थित दारमा घाटी से व्यास घाटी को जोड़ने वाली और पूर्व ट्रेड रूट्स स्यैनो ला पास (5495 मीटर) और सेला पास (5100 मीटर) की सुरक्षित रास्ते की खोज की थी।

 

बीते 08 अक्टूबर 2004 को आदि कैलाश की पहली सफल चढ़ाई टिम वुडवर्ड, जैक पीयर्स, एंडी पर्किन्स (यूके) से बनी ब्रिटिश, स्काटिश, अमेरिकी टीम द्वारा की गई थी। जेसन ह्यूबर्ट, मार्टिन वेल्च, डायर्मिड हर्न्स, अमांडा जॉर्ज ( स्काटलैंड) और पाल ज़ुचोव्स्की (यूएसए) जो शिखर की पवित्र प्रकृति के सम्मान में अंतिम कुछ मीटर तक नहीं चढ़े। मार्टिन मोरन की टीम द्वारा 2002 मे पहला प्रयास किया गया। जिसे बहुत ढीली बर्फ और चट्टान की स्थिति के कारण शिखर से 200 मीटर (660 फीट) पहले छोड़ दिया गया था।

 

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