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आयुर्वेद विभाग के पैरामेडिकल कर्मियों को बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट और फर्स्ट एड का प्रशिक्षण

गैर संचारी बीमारियों के प्रबंधन में आयुष विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका : डॉ. अवनीश उपाध्याय

पिथौरागढ़ : जनपद के आयुर्वेदिक अस्पतालों में कार्यरत कर्मियों को जिला आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारी डा. ज्योत्सना सनवाल के निर्देशानुसार बायोमेडिकल वेस्ट व प्राथमिक चिकित्सा के बारे में विशेषज्ञ प्रशिक्षक डा. गुलाब सिंह, डा. देशराज व डा. उषा बृजवासी भट्ट द्वारा विस्तार से जानकारी दी गई। इस दौरान उपस्थित कर्मियों की शंकाओं का सामाधान किया गया। कार्यक्रम में जिला अस्पताल क्वालिटी मैनेजर चंदन पंवार सहित कई कर्मी मौजूद थे।

हरिद्वार :  राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत आज जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी कार्यालय हरिद्वार द्वारा विभिन्न चिकित्सालयों में कार्यरत चिकित्सा सहायकों, वार्डबॉय एवं बहुउद्देशीय कर्मियों को प्राथमिक उपचार, बायोमेडिकल बेस्ड निस्तारण एवं किट आधारित लैब टेस्टिंग का प्रशिक्षण दिया गया। मास्टर ट्रेनर एवं ऋषि कुल राजकीय आयुर्वैदिक फार्मेसी के निर्माण प्रमुख डॉ. अवनीश उपाध्याय ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया और बताया कैसे सीपीआर देना है।

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उन्होने इस ट्रेनिंग में प्राथमिक उपचार की जानकारी दी और किसी भी घटना की स्थिति में एम्बुलेंस आने से पहले घायल व्यक्ति को प्राथमिक उपचार कैसे दिया जा सकता है और कैसे उसकी जान बचाई जा सकती है और घायल होने या बीमार पड़ने पर उसके ठीक होने में लगने वाले समय को भी कैसे कम किया जा सकता है।

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प्रशिक्षण की दौरान डॉ. उपाध्याय द्वारा बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट व अस्पताल इंफेक्शन कंट्रोल की जानकारी दी गई। हरिद्वार के जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. स्वास्तिक सुरेश ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में आये सभी चिकित्सा सहायकों वार्ड बॉय एवं बहुउद्देशीय कर्मियों को बायो मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन के लिए कलर कोटेड डस्टबिन रखने की जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि ब्लैक बाल्टी में सामान्य कचरा डाला जाता है। ब्लू कार्ड बाक्स में टूटा हुआ वाइल, शीशी, एंपुल आदि व्हाइट पंचनप्रूव कंटेनर में निडिल, ब्लेड आदि डालना है। डॉ. स्वास्तिक ने कहा कि सभी सरकारी और गैर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट का प्राधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करना आवश्यक है।

बिहारीनगर आयुर्वेदिक अस्पताल के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ गनेंद्र वशिष्ठ द्वारा सभी प्रतिभागियों को रैपिड किट आधारित ब्लड टेस्टिंग की ट्रेनिंग दी गई। उन्होंने टाइफाइड, मलेरिया, हेपेटाइटिस, ब्लड शुगर, हीमोग्लोबिन आदि की जांच के साथ ब्लड सैंपल लेने और सेंट्रीफ्यूज मशीन के द्वारा ब्लड से सीरम को अलग करने के तरीके समझाएं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में रघुवीर सिंह, विक्रम सिंह, राकेश डंगवाल, प्रवीण डगवाल, सुरेश चन्द्र, अरविन्द बर्मा, सतीश चन्द्र, विजय कुमार, अमर सिह, अनुराधा, प्रहलाद, जीत सिह, राममूरत, विनय कटारिया, रमेश दत्त, मोहित प्रसाद गोड, अभितोष पैन्यूली, दीपक, विनित, महावीर, सुशील कुमार, आरती आदि उपस्थित रहे।

आयुष चिकित्सा विभाग गैर संचारी बीमारियों के प्रबंधन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ऐसे में आयुर्वेद विभाग के पैरामेडिकल कर्मियों को इस तरह का प्रशिक्षण दिया जाना स्वस्थ भारत की परिकल्पना में बहुत महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। भारत सरकार के आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत प्रदेश के आयुर्वेदिक चिकित्सालयों को भी उच्चीकृत किया जा रहा है। डॉ. अवनीश उपाध्याय, मास्टर ट्रेनर आयुष्मान भारत, आयुष हेल्थ एंड वैलनेस केंद्र

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