थलकेदार, राज्य का पहला जैव विविधता विरासतीय स्थल के रूप में होगा विकसित
जैवविविधता विरासतीय स्थल में शामिल होने पर जैव विवधता संरक्षण को प्रोत्साहन

पिथौरागढ़ के जिला मुख्यालय के निकट थलकेदार में राज्य का पहला जैव विविधता विरासतीय स्थल विकसित किए जाने को लेकर यहां स्थानीय महाविद्यालय में उत्तराखण्ड जैवविविधता बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. धनंजय मोहन की अध्यक्षता में संबंधित विषय को लेकर एक बैठक वीडियो कांफ्रेसिंग के मध्यम से हुई। बैठक में प्रभागीय वनाधिकारी जीवन मोहन दगडे, संबंधित क्षेत्र के जैवविविधता प्रबंधन समितियों के सदस्य, वन पंचायतों के प्रतिनिधि और उत्तराखंड जैवविविधता बोर्ड के अधिकारी शामिल थे।

इस दौरान थलकेदार की निकटतम वनपंचायतों को थलकेदार जैवविविधता विरासतीय स्थल में शामिल किया जाने, क्षेत्र की जैवविविधता के संरक्षण की आवश्यकता एवं इसके प्रबंधन में वनपंचायतों के माध्यम से स्थानीय समुदायों की भागीदारी आदि को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। उत्तराखंड जैवविविधता बोर्ड के अधिकारियों ने जैव विविधता विरासतीय स्थल की स्थापना और रखरखाव के लिए कानूनी ढांचे और नियामक उपायों पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने थलकेदार की अद्वितीय जैवविविधता के संरक्षण के सामान्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्थानीय समुदायों, सरकारी एजेंसियों और पर्यावरण संगठनों के मध्य सहयोग के महत्व पर बल दिया।
बैठक में उत्तराखण्ड जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष डॉ.धनंजयमोहन ने बताया की थलकेदार वन क्षेत्र उताराखंड राज्य का पहला जैव विविधता विरासतीय स्थल होगा, जिससे जनपदभर में जैव विविधता संरक्षण के प्रति लोगो में जागरूकता आएगी। बैठक में वन क्षेत्र अधिकारी श्री पूरन सिंह देउपा डॉ सचिन बोहरा, मानव एवं पर्यावरण संस्था से घनश्याम पन्त, दीप पाटनी, वन दरोगा ज्योति उपाध्याय एवं विभिन्न वन पंचायतो के सरपंच एव जैव विविधता प्रबंधन समिति के सदस्य शामिल थे। बैठक का संचालन जैव विविधता बोर्ड की परियोजना समन्वयक दीपिका क्षेत्रीय द्वारा किया गया।
थलकेदार वन क्षेत्र से जुडी आधे दर्जन वन पंचायत देवदार, तोली, भेलोत, पत्थरखानी, बडाबे और ज्ञालपानी में यथाशीघ्र वन विभाग के अधिकारी जैवविविधता विरासतीय स्थल की जानकारी जुटाने के साथ ही सभी ग्राम वासियों की सहमती पर वन पंचायतो को थलकेदार जैवविविधता विरासतीय स्थल में शामिल किया जाएगा। जीवन मोहन दगाड़े, प्रभागीय वनाधिकारी, पिथौरागढ़
थलकेदार वन क्षेत्र जैवविविधता का भण्डार है जिसमे अनेक संकटग्रस्त प्रजाती के पेड़ दृपौधे एवं जीव जन्तु पाए जाते हैं यदि थलकेदार जैवविविधता विरासतीय स्थल में शामिल होता है तो निश्चित ही जैव विवधता संरक्षण को प्रोत्साहन मिलेगा, डॉ सचिन बोहरा असिस्टेंट प्रोफ़ेसर जंतु विज्ञान विभाग एलएसएम महाविद्यालय, पिथौरागढ़
हमसे जुड़ें और अपडेट्स पाएं!
सबसे नए समाचार और अपडेट्स पाने के लिए जुड़े रहें।