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देश के प्रधानमंत्री को किया पत्र प्रेषित………

विकास: सीमांत जनपद की समस्याओं

पिथौरागढ़ – सीमांत जनपद में व्याप्त विभिन्न समस्याओं के निस्तारण की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता व उत्तराखंड पारंपरिक उत्थान समिति के अध्यक्ष राम सिंह ने एक 11 सू़त्रीय मांगों का एक पत्र देश के प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री को प्रेषित किया है। सामाजिक कार्यकर्ता राम सिंह ने कहा कि आगामी माह में प्रधानमंत्री सीमांत जनपद भ्रमण कार्यक्रम के तहत यहां आ रहे हैं इस दौरान उनके सम्मुख भी जनपद की समस्याओं को रख समाधान की मांग करेंगे।

सामाजिक कार्यकर्ता राम सिंह
सामाजिक कार्यकर्ता राम सिंह

उन्होंने जिले से संबंधित समस्याओं के बारे में बताते हुए कहा कि जनपद पिथौरागढ़ में 85 प्रतिशत लोग साक्षर हैं। यहां कोई भी विकसित पर्यटन स्थल, उद्योग न होने से बेरोजगारी अत्यधिक है। जिले की आर्थिक हालत बहुत ही खराब है ऐसे में परिवार के भरण पोषण के लिए पलायन ही एक मात्र विकल्प रहता है। ज्ञापन में कहा गया है कि रामेश्वर घाट जनपद पिथौरागढ़, चम्पावत व अल्मोड़ा की सीमा से लगा हुआ है तथा पिथौरागढ़, चम्पावत, जागेश्वर व गंगोलीहाट विधानसभा की सीमा से लगा हुआ है। पौराणिक दृष्टि से यह स्थान अल्मोड़ा, पिथौरागढ व चम्पावत जिले का बहुत महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, यहां पर सरयू नदी व राम गंगा नदी का संगम भी है, इस क्षेत्र के बारे में कई किवंदती है कि यहां पर किसी दक्षिणात्य पंडित ने भगवान् भोले को खुश करने के लिए यज्ञ किया था और सेतु बन्धु रामेश्वरम के नाम से इस जगह को नाम दिया था तथा महाराज उद्योत चन्द्र ने 1604 ईसवी में रामेश्वर मंदिर को यह भूमि दान की थी, स्कन्द पुराण के मानसखंड 95 अध्याय में इस स्थान का बहुत ही मनोहारी वर्णन मिलता है।

इस स्थान की स्तुति के बिना जागेश्वर धाम की स्तुति, यात्रा अधूरी मानी जाती है कहा जाता है कि मर्यादा पुरूषोत्तम राम ने सत्यलोक जाने से पहले यही पर शंकर पूजन किया था शिव कृपा से ही उनके शरीर ने बैकुंठ धाम को प्रस्थान किया था, बहुत सारी किवदंतियां इस तीर्थ के बारे में हमारे पुराणों में लिखी गयी है। उत्तरायण में इस संगम में स्नान करने से कई पारिवारिक व शारीरिक व्याधाऐं दूर होती है कालान्तर में यहां दीपदान की प्रथा थी। पूर्वोत्तर कुमायू का यह सबसे बड़ा शमशान घाट भी है, यह स्थान लोक गीतों व लोक कलाओं के लिए प्रसिद्ध है। अल्मोड़ा, काली कुमाउं गंगोली व सोर पिथौरागढ संस्कृति का संगम स्थल भी है। यहां पर स्थानीय उत्पादों का व मवेशियों के व्यापार का केंद्र भी बन सकता है यदि इस स्थान को विकास किया जाय तो कम से कम दस हजार परिवारों को रोजगार मिलेगा। जनपद पिथौरागढ़ के समीप चंडाक व थलकेदार क्षेत्र में रोपवे लगाये जाय जिससे लगभग पांच सौ लोग रोजगार से जुड़ेंगे।

टनकपुर से पिथौरागढ़ को यदि रेल लाइन से जोड़ा जाय तो पिथौरागढ़ पर्यटन के क्षेत्र में विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र बन सकता है, पिथौरागढ़ जनपद के आदि कैलाश, ॐ पर्वत, पाताल भुवनेश्वर आदि पौराणिक रूप से बहुत महत्त्वपूर्ण है। यदि इन क्षेत्रों को आपस में अच्छी सड़को से जोड़ा जाय तो बहुत से परिवारों को रोजगार मिलेगा। पिथौरागढ़ जनपद में आयुर्वेद, जड़ी बूटी का अथाह भण्डार है यदि यहां पर एक आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र खोल दिया जाय तो स्थानीय लोगो को एक बेहतरीन रोजगार मिल सकता है सीमान्त किसानो को यदि इन उत्पाद की जानकारी होगी तो उनको उत्पाद की कीमत मिलेगी लगभग पूरा जनपद इस रोजगार से जुड़ेगा। हवाई सेवा अब जरूरत बन गयी है यहां स्वास्थ्य सुविधा सही न होने से मरीज को हल्द्वानी, बरेली व दिल्ली आदि स्थानों पर आपात काल में ले जाना पड़ता है। जिसको देखते हुए नियमित हवाई सेवा पिथौरागढ़ दृ पन्त नगर दृ दिल्ली की शुरू करने की आवश्यकता है।

पिथौरागढ़ जिले को पौराणिक गुफाओं का शहर भी कहा जाता है जिला मुख्यालय के चारों तरफ पौराणिक महत्व की गुफाये हैं जो शहर के बाहरी क्षेत्र में है यदि इन गुफाओं का सौन्दर्यीकरण कर एक रिंग रोड के माध्यम से जोड़ा जाय तो यह पर्यटकों को बहुत आकर्षित करेगा व स्थानीय लोगों को भी पूजा- अर्चना करने में आसानी होगी। पिथौरागढ़ से आदि कैलाश व कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू हो चुकी है यात्रा में जो भी लोग जाते हैं उनका पहला पड़ाव पिथौरागढ़ मुख्यालय में रखा जाय जिससे तीर्थ यात्रियों को पिथौरागढ़ के बारे में जानकारी होगी व होटल व्यवसाय बढेगा । स्थानीय उत्पादों को बाजार मिलेगा तथा कई लोग रोजगार से जुड़ेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता राम सिंह ने मांगों पर गौर कर उचित कार्रवाई करने की बात कही है।

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