पहाड़ी एंबुलेंस के सहारे बीमार के साथ 18 घंटों का पैदल चुनौती भरा सफर
मोबाइल चिकित्सा टीम क्षेत्र में तैनात करने की मांग

पहाड़ी एंबुलेंस के सहारे ग्रामीणों द्वारा 18 घंटे का उबड़- खाबड़ मार्ग से पैदल चलकर गांव के एक बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाया गया। पिथौरागढ़ के सीमांत तहसील मुनस्यारी के पंचाचूली के फूंगागैर बुग्याल में बीमार पड़े फाफा गांव निवासी ग्रामीण को पहाड़ी एंबुलेंस यानि डंडों की डोली ग्रामीणों के कंधों के सहारे 18 घंटे पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाया। इस दौरान उबड़ खाबड़ मार्ग पर डंडों की डोली ढोने से जहां रोगी को परेशानी झेलनी पड़ी तो वहीं ग्रामीण भी अस्पताल पहुंचने तक पूरी तरह से थक गए।
विकास खंड मूनस्यारी के गोरीपार क्षेत्र के दूरस्थ गांव निवासी त्रिलोक सिंह पाना पुत्र स्व. कुंदन सिंह पाना अपनी भेडृ बकरियों को चुगाने के लिए पंचाचूली क्षेत्र के फूंगागैर बुग्याल गया था, जहां पर अत्यधिक ठंड होने से बीमार पड़ गया और बदन सूजन आने से चल पाना भी मुश्किल हो गया। साथ में गए गांव के एक दो अन्य लोगों ने इसकी सूचना ग्रामीणों को दी । सूचना मिलते ही गांव से सुरेंद्र पाना, दीपक मेहता, दुर्योधन, कुंदन, उत्त्तम कोरंगा, खुशाल, उमेश कोरंगा, भवान सहित अन्य ग्रामीण गांव से बुग्याल की तरफ रवाना हुए । दो दिन का पैदल मार्ग गांव के युवाओं ने एक ही दिन में तय किया और बुग्याल तक पहुंचे और डंडो से बनाई गई डोली से बीते सोमवार सुबह पांच बजे युवा अपने कंधों को एंबुलेंस बना कर फुंगागैर से रवाना हुए ।
अति दुर्गम मार्ग में लगातार 18 घंटे चल कर रात 11 बजे गोरीपार के जौलढुंगा स्थित उप पीएचसी पहुंचे । जहां बीमार को प्राथमिक उपचार दिया गया। प्राथमिक उपचार के बाद बीते दिवस मंगलवार को बीमार ग्रामीण को जिला अस्पताल पिथौरागढ़ रेफर किया गया । गांव के सुरेंद्र पाना सहित क्षेत्रवासियों ने कहा है कि सरकार को इन दुर्गम क्षेत्रों के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए । भेड़, बकरियों के चुगान के लिए ग्रामीणों को उच्च हिमालयी बुग्यालों तक जाना मजबूरी है। भेड बकरी पालन ही आजीविका का एकमात्र साधन है। उन्होंने क्षेत्र के सभी गांवों को डोली उपलब्ध कराने और चिकित्सा विभाग से मई से अक्टूबर माह तक एक मोबाइल चिकित्सा टीम क्षेत्र में तैनात किए जाने की मांग भी की है।
हमसे जुड़ें और अपडेट्स पाएं!
सबसे नए समाचार और अपडेट्स पाने के लिए जुड़े रहें।