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पहाड़ की शिक्षा : वीर नारियाँ अनोखे वन राज़ी मिशन पर आई आगे

सुदूर गाँवों में अशिक्षा तथा पिछड़ेपन के अंधेरे को हराने के मिशन पर

गढ़वाल कुमाऊँ की वीर नारियों की कथाएँ सुनी हैं जिन्होंने मुग़लों के दांत खट्टे किए, लेकिन इन दिनों तीन पहाड़ी शिक्षिकाएं चम्पावत और पिथौरागढ़ के सुदूर गाँवों में अशिक्षा तथा पिछड़ेपन के अंधेरे को हराने के मिशन पर आगे आयीं हैं. उनके नाम हैं ललिता देवी रजवार, तनुजा नौटियाल और शिखा डोड. उनके मिशन के समन्वयन त्रोणि सेन चकमा मिज़ोरम से उत्तराखण्ड के बच्चों को पढ़ाने आये हैं.

 

यह मिशन उन बच्चों को कंप्यूटर तथा आर्टफ़िशियल इंटेलिजेंस सिखाने और उनमें आई ए एस , आई पी एस , वैज्ञानिक, पायलट , अध्यापक, व मुख्यमंत्री बनने के सपने जगाने और उनको पूरा करने की क्षमता जुटाने के उद्देश्य से पूर्व सांसद तरुण विजय ने आरंभ किया है. इसमें उत्तराखण्ड विज्ञान व तकनीकी परिषद के प्रसिद्ध वैज्ञानिक व महानिदेशक डॉ दुर्गेश पंत, चम्पावत के जिलाधिकारी  नवनीत पांडे, पिथौरागढ़ जिलाधिकारी  रीना जोशी, देहरादून जिलाधिकारी  सोनिका, तीनों जिलों के समाज कल्याण अधिकारी का सक्रिय सहयोग मिला है. उल्लेखनीय है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन राजी शिक्षा को महत्वपूर्ण बताया और अपना जन्मदिन भी उनके साथ मनाया. चित्र में वन राजी गाँव खिरद्वारी और ज्योल जीवी में शिक्षा वीर नारियाँ गाँव वासी महिलाओं तथा बच्चों को शिक्षा का महत्व समझाते हुए दिख रहीं हैं.

 

गौरतलब है कि आज तक इस अत्यंत चुनौतीग्रस्त अस्तित्व वाले समाज से, जिनकी कुल जनसंख्या केवल 990 है, कोई भी सरकारी कर्मचारी नहीं बन पाया, केवल एक चतुर्थ श्रेणी संविदा कर्मचारी हुआ, और गगन सिंह रजवार विधायक बने जिनका शिक्षा प्रसार में बड़ा योगदान हुआ.

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