पिथौरागढ़ : सिग्नल ढूंढने के लिए इधर- उधर दौड़ते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने दूसरे टावर लगााए जाने की मांग, टावर बना है शोपीस

ये कैसी संचार सेवा जहां किसी से भी बात करने के लिए ग्रामीण मोबाइल साथ लेकर गांव में इधर- उधर दौड़ते हैं फिर कहीं सिग्नल मिले तो तब हो पाती है बात। ये हाल तब है जब गांव में एक निजी कंपनी का टावर लगा है। परेशान हुए ग्रामीणों ने सरकार से एक अन्य टावर लगाने व सेवा में सुधार की मांग की है।
भारत- नेपाल सीमा क्षेत्र पर स्थित हल्दू गांव के लोग इस संचार क्रांति के युग में किसी से बात करने के लिए परेशान हैं। ग्रामीणों ने बताया कि किसी से बात करनी हो तो मोबाइल साथ लेकर सिग्नल ढूंढने को इधर- उधर दौड़ना पड़ता है। बीते दो वर्षो से लगा निजी कंपनी जीओ का टावर मात्र सो पीस बन कर रह गया है। इससे परेशान ग्रामीण पड़ोसी देश नेपाल की संचार सेवा पर निर्भर हैं।
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता भुवन सिंह सौन ने बताया कि किसी से बात करनी हो तो ग्रामीणों को गांव के खुले खेतों और जंगलों में जाकर सिंग्नल ढूंढ कर बातचीत करनी पड़ती है। बारिश के दौरान छाता लेकर जहां पर सिग्नल मिले वहीं व खड़े या बैठकर बात करनी पड़ी है। इस दौरान बात पूरी तरह से हो पाना भी संभव नहीं होता।
भुवन सिंह सौन एवं हल्दू के ग्रामीणों ने कहा कि एक ओर सरकार देश में हो रहे विकास का प्रचार प्रसार करने में नहीं थकती है पर सीमा क्षेत्र में रहने वालों लोगों को पड़ोसी देश की संचार सेवा का निर्भर रहना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि संबंधित कंपनी के अधिकारियों से संपर्क करने पर वे सीमावर्ती क्षेत्र होने व टावरों का सिंग्नल स्ट्रैंथ कम की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर नेपाल संचार सेवा के सिग्नल पिथौरागढ़ मुख्यालय सहित जनद के कई स्थानों पर में भी काम करते हैं। ग्रामीणों ने सरकार से हल्दू गांव क्षेत्र के लोगों की परेशानी को देखते हुए व्यवस्था में सुधार किए जाने की मांग की है।
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