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बाल तस्करी : 10 वर्ष की सजा से लेकर एक लाख रूपये जुर्माने का प्राविधान

बाल तस्करी से आजादी 2.0 विषय पर बैठक एवं कार्यशाला का आयोजन

बाल तस्करी व अन्य किसी भी प्रकार की तस्करी को रोकथाम के लिए समाज की भागीदारी बेहद आवश्यक है। समाज में चेतना जगाने के लिए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा यह अभियान चलाया जा रहा है। यह बात राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष ने चंपावत जिला सभागार में आयोजित एक बैठक के दौरान कही। जिलाधिकारी नवनीत पांडे की उपस्थिति में आयोजित बैठक के दौरान अध्यक्ष खन्ना ने कहा कि पुलिस, आंगनबाड़ी, समाज कल्याण, शिक्षा, श्रम, प्रवर्तन आदि विभागों के साथ समन्वय बना कर तस्करी को रोकने के सभी सम्भव प्रयास किये जा रहें है।

 

14 वर्ष की आयु से अधिक के बच्चें अपनी शिक्षा के जुड़े हुए यदि कोई कार्य कर रहे है तो उन्हें प्रशिक्षण के तौर पर करने दे सकते हैं लेकिन 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को नहीं। उन्होने तस्करी से छुड़ाये गये बच्चों को शिक्षा से जोड़ने तथा उनकी मॉनिटरिंग करने के निर्देश मुख्य शिक्षाधिकारी को दिये। जिला प्रोवेशन अधिकारी राजेंद्र प्रसाद बिष्ट के द्वारा बाल तसकरी, बाल श्रम पर पीपीटी के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी गई तथा बच्चों में मादक पदार्थों के सेवन की रोकथाम करने को लेकर बल दिया गया। इस दौरान खन्ना ने कहा कि आयोग द्वारा सम्बन्धित विभागों को प्रशिक्षण भी समय समय पर दिया जा रहा हैं।

 

उन्होने कहा कि आज के समय तस्करी को रोकने के लिए समाज का आर्थिक व सामाजिक स्तर में भी सुधार की आवश्यकता है। कहा कि सोशल मीडिया में अतिव्यस्तता व अभिभावकों के कम ध्यान देने के कारण भी किशोर वर्ग व विभिन्न प्रकार की तस्करी का शिकार हो रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे एवं जिन बच्चों के माता-पिता कार्यालय, दैनिक कार्यों से घर से बाहर रहने पर बच्चों के अंदर यह प्रवृत्ति विकसित हो रही है जिसकी रोकथाम के लिए बच्चों के अभिभावकों को सजक व जागरूक रहने की आवश्यकता है।

 

इसके पश्चात् गोरल चौड़ मैदान के निकट स्थित ऑडिटोरियम में बाल तस्करी से आजादी 2.0 विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना के द्वारा किया गया। कार्यशाला का संचालन जिला प्रोबेशन अधिकारी राजेंद्र प्रसाद बिष्ट ने किया। कार्यशाला के दौरान बताया गया की बच्चों के अधिकारों का हनन होता है और बच्चे अपने मूल अधिकार से वंचित रह जाते है। बाल तस्करी, मानव व्यापार एक प्रकार का अपराध है। जिसमें किसी मानव को खरीदा और बेचा जाता है तथा उसका इस्तेमाल आजीवन मुफ्त में मजदूरी कराने, उसके शरीर के अंगो को बेचने, भीख मंगवाने, यौन शोषण, वैश्यावृति कराए जाने एवं अन्य लाभ के लिए किया जाता है। भारत के संविधान में अनुच्छेद 23(1) के तहत मानव/व्यक्तियों की तस्करी निषिद्ध है। जिसके अन्तर्गत अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956 (आईटीपीए) व्यवसायिक यौन शोषण एवं तस्करी की रोकथाम के लिए प्रमुख कानून है।

 

बाल तस्करी में आईपीसी की धारा 370 के अन्तर्गत मुकदमा पंजीकृत किए जाने का प्राविधान है। इसके अंतर्गत 10 वर्ष की सजा से लेकर एक लाख रूपये जुर्माने का प्राविधान है। इसका मुख्य कारण गरीबी, शिक्षा का अभाव, बढ़ती जनसंख्या, लड़कियों की सामाजिक असुरक्षा, समुदाय में जागरूकता का अभाव, बाल विवाह कुप्रथा का प्रचलन, बाल श्रम का प्रचलन आदि है। जिला श्रम प्रर्वतन अधिकारी के द्वारा बाल श्रमिक बच्चों, श्रमिक कानूनों एवं माह जून में चलाए जाने वाले बाल श्रम उन्मूलन अभियान के बारे जानकारी दी गई।
इसके अतिरिक्त बाल तस्करी/मानव व्यापार, बाल विवाह, बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई।

 

साथ ही विधिक सहायता प्रदान करने के साथ ही कहा गया कि सभी बाल संरक्षण स्टेक होल्डर सक्रिय होकर कार्य करने व सभी कार्य लिंगल तरीके से जेजे एक्ट के प्राविधानो के अनुसार किये जायें तथा आपसी सामन्जस बनाकर कर्रें। कहा कार्यशाला में उपस्थित सभी स्टेक होल्डर बच्चों की संरक्षण एवं पुर्नवासन के लिए जिम्मेदार हैं।  इसके अतिरिक्त बच्चों को नशे से दूर रखने हेतु समय समय पर जागरूकता कार्यक्रम व नशे की गिरफ्त में आ रहे बच्चो की काउंसलिंग कराई जाए।

 

इस अवसर पर सदस्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग विनोद कपरवाण, अनु सचिव डा. एस सिंह, उप जिलाधिकारी लोहाघाट रिंकु बिष्ट, मुख्य शिक्षा अधिकारी मेहरबान सिंह बिष्ट, मुख्य चिकित्सा अधिकारी केके अग्रवाल, सीडब्लूसी के अध्यक्ष सुधीर शाह, खंड विकास अधिकारी कविंद्र सिंह रावत, बाल संरक्षण अधिकारी मीनू पंत त्रिपाठी, जिला समन्वय चाइल्ड हेल्पलाइन संतोषी, जिला श्रम प्रवर्तन अधिकारी दीपक कुमार, जिला सेवायोजन अधिकारी आर के पंत, थाने के कार्मिक एवं जनपद के समस्त थानों पर नामित बाल कल्याण पुलिस अधिकारी सहित अन्य उपस्थित थे।

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