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मन के साथ शरीर को शुद्ध कर आरोग्य प्रदान करता है शाकाहार : योगाचार्य रूचिता

विश्व शाकाहार दिवस पर विशेष.........

हरिद्वार – शास्त्रों में भी शाकाहारी भोजन की हो ही उत्तम भोजन कहा गया है। शाकाहार खाना ही सही मायने में मानव के लिए बना है, शाकाहार भोजन में अनाज, फल और सब्जियां, दालें आदि शामिल हैं। इससे शरीर और मन को कई फायदे हैं। इससे मन शांत राहत है और आप हमेशा खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। मांसाहार की तुलना में शाकाहारी भोजन जल्दी पच जाता है। जिससे हमारा पाचन तंत्र अच्छा रहता है। शाकाहारी भोजन से ही आहार के सभी घटकों को संतुलित मात्रा में लिया जा सकता है। शाकाहारी भोजन से शरीर को पौष्टिकता प्रदान की जा सकती है। हमारे शरीर की बनावट ही इस तरह की है जो यह सिद्ध करता है की इसके लिए शाकाहार ही उचित आहार है। मांसाहारी और शाकाहारी जीवों की शारिरिक बनावट के अध्ययन से भी हमें ज्ञात होता है कि मानव शरीर की प्रकृति शाकाहारी आहार के लिए ही सर्वोत्तम है।

प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान विशेषज्ञ रुचिता उपाध्याय
प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान विशेषज्ञ रुचिता उपाध्याय

प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान विशेषज्ञ रुचिता उपाध्याय बताती हैं कि हमारे दांत जो भोजन को चबाने और पीसने के लिए बने है, हमारा पाचन संस्थान, हमारी आहार नली की लम्बाई जो की समस्त शाकाहारी जीवों की तरह है। मनुष्य शरीर प्रकृति की सर्वोच्च कलाकृति है, अगर हम शाकाहारी और मांसाहारी जीवों का अध्ययन करें तो पाएंगे की मांसाहारी जीवों की जैसे शेर, चीता आदि की आंत आठ फुट तक यानि छोटी होती है, उन्हें केनाइंस दांत बड़े और पैने होते हैं, ,मनुष्य की आंत 28 फुट लम्बी होती है और केनाइंस भी पैने नहीं होते इस तरह तार्किक दृष्टि से देखें तो मनुष्य शाकाहारी ही है, क्योंकि उसे दांत और आंत दोनों ही प्रकृति ने मांसाहारी जानवरो के विपरीत अकार में प्रदान किये हैं, सभी मांसाहारी जीवों की आंत छोटी और दांत जिन्हे केनाइंस भी कहते हैं लम्बे और पैने होते है जो मांस फाड़ने में निपुण होते हैं उन्हें चबाने के लिए दाढ़ भी नहीं होती अतः उनकी आंत भी छोटी होती है ताकि खाना तुरंत निष्कासित हो जाये और आंतो में पड़े पड़े -सड़े नहीं।

रूचिता बताती हैं कि हमारी भावनाएं, संवेदनाये और चेतना सभी शाकाहार से शुद्ध और मानवीय बनती है। यही एक ऐसा शरीर है जिसे मनुष्य अपनी इच्छा से बना सकता है फिर चाहे वह शाकाहारी हो या मांसाहारी यह हम पर निर्भर करता है। भेड़िया हमेशा मांस खाएगा और गाय हमेशा घास जबकि मनुष्य ही है जो अपने मन को वश में रख कर सही पथ चुन सकता है। इसिलिए पुराणों में मनुष्य तन पाना दुर्गम लिखा है।

प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान
प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान

योगाचार्य रुचिता ने कहा कि विभिन्न वैज्ञानिक शोधों में भी शाकाहार को स्वास्थ्य एवं पोषण की दृष्टि से मांसाहार की अपेक्षा अधिक उत्तम पाया गया है। पाश्चात्य आहारविदों का कहना है कि योजनाबद्ध शाकाहारी आहार “स्वास्थ्यप्रद, पर्याप्त पोषक होता है और विभिन्न बीमारियों की रोकथाम और इलाज मैं सहायक होता है। शाकाहारी आहार में संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल और प्रोटीन का स्तर कम होता है और कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फोलेट और विटामिन सी व ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट तथा फाइटोकेमिकल्स का स्तर उच्चतर होता है। 2010 के एक अध्ययन में सेवेंथ दे एडवेंटिस्ट्स के शाकाहारियों और मांसाहारियों के एक ग्रुप के बीच तुलना करने पर शाकाहारियों में अवसाद कम पाया गया और उन्हें बेहतर मूड का पाया गया। जो हमारे प्राचीन वैज्ञानिक शास्त्रों में कही गई बातों को सिद्ध साबित करता है।

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