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पिथौरागढ़ : कवियों की प्रस्तुति और भाव विभोर हुए श्रोता

रविवासरीय काव्य गोष्ठी संपन्न

अंतिम रविवासरीय काव्य गोष्ठी और प्रकृति दिवस पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन पिथौरागढ़ के ज्ञानप्रकाश संस्कृत पुस्तकालय मंजरी कुंज न्यू बजेटी में किया गया।

 

घनश्याम जोशी की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी में डा. पीतांबर अवस्थी ने ‘भौते तेजी ल्ये बदलिन लाग्यी रै यो दुनियां’ डा. प्रमोद कुमार श्रोत्रिय ने ‘हमको तो चंदन से प्यारी माटी हिंदुस्तान की’, डा. आनंदी जोशी ने ‘अमरपुत्र जो भारत मां के, कभी न उन्हें भुलाएंगे’ देश किया आजाद जिन्होंने गीत उन्हीं के गायेंगे, लक्ष्मी आर्या ने ’तेरी स्नेह भरी आंखें, मुझे बार बार निहारना, आशा सौन ने ‘कद का छोटा, मद में मोटा, करता बारंबार, पलट कर वार, ऐ पाकिस्तान तुझे धिक्कार,

 

डा. नीरज चंद्र जोशी ने ‘बादशाहों के सिरों पर ही ताज होते हैं, सुनने के लिए संगीत को साज होते हैं, जानते हैं इज्जत करना जो दूसरों की, बहुत ही विनम्र उनके अल्फाज होते हैं’, अनीता जोशी ने ‘शहीद ए कारगिल को आज मिल सब याद करते हैं, रहे दिल में अमर सबके ये ही फरियाद करते हैं’ और भगवती दनपुरिया ने ‘भारत को मुकुट बनयूं छ, कुदरत ले जम्मू रच्यूं छ’ कविता सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

 

विचार गोष्ठी में कवियों के अतिरिक्त मंजुला अवस्थी व एकल अभियान से जुड़े समाज सेवी ललित धानिक, पिंकी चौहान व भावना उपाध्याय ने अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान एकल अभियान पर चर्चा हुई। कार्यक्रम में जया लोहनी, हेमा आदि ने भी प्रतिभाग किया। संचालन अनीता जोशी द्वारा किया गया।

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