
पिथौरागढ़ के झूलाघाट कस्बे में आतंक का पर्याय बने कटखने बंदरों को वन विभाग ने पिंजरा लगा कर पकड़ लिया। बंदरों के पकड़े जाने से झूलाघाटवासियों को कटखने बंदरों से मुक्ति मिली है। बीते दिनों से झूलाघाट क्षेत्र में बंदरों के आतंक से लोग परेशान थे, आए दिन बंदर महिलाओं, बुजुर्गो और बच्चों पर हमला कर रहे हैं। जिससे लोगों में दहशत बनी हुई थी।
एक माह पूर्व एक महिला की बंदरों के हमले से गंभीर घायल होने के बाद मृत्यु हो गई थी। एक सप्ताह पूर्व महेश राम बंदरों के हमले से गंभीर घायल हो गया था। बंदरों के हमले से सबसे अधिक प्रभावित स्कूली बच्चे हैं। स्कूल आते जाते समय बंदरों के झुंड उन पर हमला करते हैं। जिसके चलते अभिभावकों को विद्यालय आते जाते समय साथ रहना पड़ता है।
जनता लंबे समय से बंदरों से निजात दिलाने की मांग करती आ रही थी। इस मामले में व्यापार मंडल उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार भट्ट सहित अन्य लोगों ने क्षेत्राधिकारी पूरन सिंह देउपा से संपर्क कर बंदरों के आतंक से निजात दिलाए जाने की मांग की थी। रेंजर देउपा द्वारा वन कर्मी प्रकाश जोशी के नेतृत्व में एक टीम झूलाघाट भेजी । कस्बे में दो स्थानों पर पिंजरा लगाया गया ।
पहले दिन पिंजरे में फंसे बंदरों को वन कर्मी साथ लेकर आए। वन कर्मी रवींद्र प्रसाद ने बताया कि पकड़े गए बंदरों को अल्मोड़ा ले जाकर बधियाकरण कर जंगलों में छोड़ा जाएगा। झूलाघाटवासियों ने वन विभाग से जीआइसी, प्राथमिक विद्यालय और शिशु मंदिर मार्ग पर पिंजरा लगाने की मांग की है। इस मौके पर हरीश भट्ट, चेतराम भट्ट, मदन भट्ट, राहुल भट्ट, व्यापार मंडल अध्यक्ष दीपक इजरवाल, उपाध्यक्ष प्रमोद भट्ट, धर्मानंद नारियाल, राजू नाथ, पप्पू, सुमित नरियाल द्वारा सहयोग दिया गया।
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