पिथौरागढ़ : अपनी लोककला एवं संस्कृति को हस्तांतरित करने की आवश्यकता : डा. पांडे
परिसर में शुरू हुईं दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

पिथौरागढ़ के एलएसएम परिसर के वेब हॉल में हिंदी विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी का शुभारंभ एलएसएम परिसर के निदेशक डॉ हेम चंद्र पांडेय, डीएसडब्ल्यू डॉ डीके उपाध्याय, पहरू के संपादक डॉ हयात सिंह रावत, हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जगत सिंह कठायत व एसएसजे परिसर की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ प्रीति आर्या द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस दौरान परिसर निदेशक डॉ हेम चंद्र पांडेय ने कहा कि हमारी लोककला एवं संस्कृति बहुत ही समृद्ध है। जिसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित करने की आवश्यकता है।
वहीं एसएसजे परिसर अल्मोड़ा से आईं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीति आर्या ने कहा कि कुमाऊं संस्कृति और लोक कला के विविध आयाम कुमाउँनी साहित्य में देखने को मिलते है। विशिष्ट वक्ता पहरू के संपादक डॉ हयात सिंह रावत ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी के उदासीन रवैये से लोककला विलुप्ति की कगार पर पहुँच गई है। इसके लिए कुमाउंनी लोक कला, कुमाउनी लोक साहित्य और साहित्यकार, ऐपण संस्कृति, कुमाऊंनी भाषा दिवस के महत्व हमें समझना होगा।
अन्य वक्ताओं ने लोक भाषा की प्रासंगिकता, देवभूमि उत्तराखंड में जन्मे साहित्यकार और उनका साहित्य पर विचार व्यक्त किया। संगोष्ठी सचिव व संचालन कर रहीं डॉ प्रिया जोशी ने कहा कि नासिरा शर्मा ने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से हिंदी का साहित्य समृद्ध किया है । इस मौके पर उनकी नासिरा शर्मा पर लिखी पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजक हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जगत सिंह कठायत ने बताया कि संगोष्ठी के दूसरे दिवस रघुवीर सहाय के काव्य की भाषा और शिल्प, रघुवीर सहाय के गद्य साहित्य में सामाजिक चेतना, रघुवीर सहाय की कविताओं की मूल संवेदना, पत्रकार के रूप में रघुवीर सहाय का योगदान, रघुवीर सहाय के समकालीन साहित्यकारों के साहित्य में निहित विविध संदर्भ में वक्तव्य दिया जाएगा।
इस दौरान मुख्य वक्ता एसएसजे परिसर की हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीती आर्या, सीओ जावेद अली, कुमाऊंनी भाषा और संस्कृति विशेषज्ञ हयात सिंह, एलएसएम के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ जगत सिंह कठायत, हिंदी विभाग की डॉ माया गोला, डॉ नवीन चद्र लोहनी, रमेश चंद्र जोशी, दिनेश भट्ट, डॉ नीलाक्षी जोशी, डॉ भावना मासीवाल, डॉ पुष्पा पंत उप्रेती, डॉ. गीता पाण्डेय, डॉ. पुष्पा पंत, डॉ. बीपी पाण्डे, डॉ पीताम्बर अवस्थी, डॉ आनन्दी जोशी, डॉ चिंतामणि जोशी, डॉ जनार्जन उप्रेती, डॉ गीता पांडेय, डॉ खीमानंद बिनवाल सहित अन्य लोग मौजूद थे।
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