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पिथौरागढ़ : चैक बाउंस मामले में एक साल के कारावास की सजा

साढ़े चार लाख का अर्थदंड

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चैक बाउंस मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी/सिविल जज जूनियर डिविजन गंगोलीहाट न्यायालय ने दोषी को एक वर्ष के साधारण कारावास और साढ़े चार लाख के अर्थदंड से दंडित किया है। अभियोगी पक्ष के अधिवक्ता मनोज सिंह रावल के मुताबिक बीते मार्च माह में बेरीनाग के पिनारी गांव निवासी त्रिवेणी पंत, पुत्र गिरीश चंद्र पंत ने उत्तराखंड ग्रामीण बैंक शाखा बेरीनाग से चार का ऋण लिया था।

 

ऋण की शर्तों के अनुसार आरोपी द्वारा लिमिट खाता सुचारू रूप से संचालित किया जाना था, लेकिन अभियुक्त द्वारा ऋण सीमा खाते का संचालन सुचारू रूप से नहीं किया गया। अभियुक्त की ओर से बैंक को अपने सीसी लिमिट खाता संचालन हेतु 07 मार्च 2024 को चार का चैक दिया गया, लेकिन अभियुक्त के खाते में चैक की पर्याप्त धनराशि नहीं होने के कारण भुगतान नहीं हो पाया। इसके बाद 19 मार्च को अभियुक्त को एक नोटिस जारी कर 18 दिन के भीतर चैक में वर्णित धनराशि का भुगतान करने को कहा गया।

 

रजिस्टर्ड नोटिस 23 मार्च को उसके सही पते पर तामील हुआ। नोटिस की तामीली के बावजूद भी अभियुक्त द्वारा भुगतान को लेकर कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिस पर न्यायायल में वाद दायर किया गया। न्यायालय ने त्रिवेणी पंत को धारा 138 निगोसिएबुल इंस्टूमैंट 1881 के तहत दोषी करार देते हुए एक वर्ष का साधारण कारावास व साढ़े चार लाख रूपऐ के अंर्थदंड से दंडित किया।

 

अर्थदंड में धारा 367 (3) दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के अंतर्गत चार लाख चालीस हजार बतौर प्रतिकर परिवादी को देय से और शेष दस हजार अर्थदंड के रूप में राज्य के खाते में जमा करना होगा। अर्थदंड की धनराशि दस हजार राज्य को अदा न करने पर अभियुक्त को 20 दिन अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी।

 

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