पिथौरागढ़: वनाग्नि को रोकने और वनों को बचाने के लिए सभी को जागरूक होना जरूरी : डा. कच्चाहारी बाबा
वनाग्नि नियंत्रण प्रबंधन पर जागरूकता एक दिवसीय कार्यशाला

एक दिवसीय वनाग्नि नियंत्रण प्रबंधन जागरूकता कार्यशाला का आयोजन बेरीनाग वन रेंज के अन्तर्गत थल में गोल स्थित राजपूत ऐलीमेन्ट्री पब्लिक स्कूल में किया गया। वन प्रभाग पिथौरागढ़ के सहयोग से अभिलाषा समिति द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें करीब 200 स्कूली छात्र-छात्राओं के साथ ही अभिभावक, आयोजक संस्था के प्रतिनिधि, वन विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारी और स्थानीय ग्रामीणों ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त मुख्य चिकित्साधिकारी एवं समाजसेवी डॉ. गुरुकुलानन्द कच्चाहारी बाबा ने कहा कि प्रकृति ने हमारी आवश्यकताओं के लिए सबकुछ दिया है, लेकिन हम प्रकृति के इन उपहारों की हिफाजत करना भूल गए हैं। कहा कि वनों में आग हमारी लापरवाही के कारण लगती है। यह आग प्रकृति से मिले उपहारों को भारी नुकसान तो पहुंचाती ही है, समूचे जीवजगत और जैवविविधता के लिए भी संकट का कारण बन जाती है।
उन्होंने कहा कि वेदों ने पृथ्वी में सभी के सुखी और स्वस्थ होने का संदेश पूरी दुनिया में छोड़ा है। इस संदेश में न केवल मानव का हित निहित है, बल्कि भूमंडल में विचरने वाले प्रत्येक प्राणी के हित की कामना की गई है। उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों का आह्वान किया कि वनाग्नि को रोकने और वनों को बचाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति अपने आसपास के लोगों को जागरूक करें। प्रकृति के संरक्षण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करें तो घरती सुरक्षित रहेगी और जीवजगत की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
इस दौरान हिमाल प्रसंग पत्रिका के संपादक प्रकाश पांडेय ने कहा कि वनाग्नि जागरूकता अभियान के अंतर्गत विद्यार्थियों को केन्द्रित करते हुए कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। एक विद्यार्थी अगर अपने परिवार के साथ ही पड़ोस को भी जागरूक करेगा तो इस तरह सैकड़ों लोग जागरूक होंगे और वनों को आग से बचाने में अहम भूमिका निभाएंगे। उन्होंने विद्यार्थियों और उपस्थित प्रतिभागियों से अपील की कि वे वनों में कहीं भी आग लगने पर उसकी सूचना आपदा कन्ट्रोल रूम को दें और सामूहिक रूप से आग को बुझाने का प्रयास करें।
पत्रकार कुंडल चौहान ने कहा कि जंगलों की आग न केवल मनुष्य के लिए मुश्किल खड़ा करती है, बल्कि समूची जैव विविधता को भारी नुकसान पहुंचाती है छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने सहजता पूर्वक समझाया कि जिस प्रकार हम अपने घरों, गांवों में रहते हुए स्वयं को सुरक्षित समझते हैं उसी प्रकार जंगली जानवर, पक्षी और सरीसृप वर्ग के प्राणी जंगलों, नदियों, झरनों व तालाबों को अपना घर समझते हैं और स्वछंद होकर अपने इन घरों में विचरण करते हैं, लेकिन जब जंगल में आग लगती है तो उनका घर जलता है और वे जंगलों से निकलकर मानव आबादी की ओर आने लगते हैं।
जिससे मनुष्य और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष शुरू हो जाता है, यानि जंगल की आग मानव और वन्य जीवों के बीच संघर्ष का एक प्रमुख कारण बन जाती है। इसलिए जंगलों की आग को रोकना इस संघर्ष को कम करने और जैव विविधता को बचाने व संवारने के लिए भी जरूरी हो जाता है। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता बसंत भट्ट ने कहा कि जंगलों में लगने वाली आग न केवल ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने का कार्य करती है बल्कि जंगलों पर आश्रित लोगों का निवाला भी छीनती है। उन्होंने कहा कि पहाड़ में अनेक परिवार रिंगाल के बर्तन बनाने, बकरी व पशुपालन से अपनी आजीविका चला रहे हैं। इसी प्रकार अनेक परिवार जड़ी बूटियों, आंवला, हरड़ आदि के उत्पादों पर आधारित रोजगार पर निर्भर हैं, लेकिन जंगलों में लगने वाली आग इस रोजगार को छिन्न-भिन्न कर देती है जिस कारण ग्रामीणों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हो जाती है।
इसलिए हमको समझना होगा कि हम वनों पर निर्भर हैं तो उनकी हिफाजत करना भी हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता है। बेरीनाग वन रेंज के दरोगा कुलदीप कुमार ने कहा कि इंसान तथा पशु पक्षी से लेकर जंगली जानवर तक और ग्लेशियर, नदियों से लेकर एक चींटी तक जैव विविधता का हिस्सा हैं और एक -दूसरे से जुड़े हैं, लेकिन जलते जंगलों और पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ के कारण इस जैव विविधता का संतुलन बिगड़ रहा है। जो पूरे समाज और प्रकृति के लिए बेहद नुकसानदायक है।
इसलिए इस सब पर गंभीरता से सोचना और ठोस कार्यवाही करना हम सबकी जिम्मेदारी है। इसके अलावा छात्रों और अभिभावकों ने भी वनाग्नि सुरक्षा को लेकर अपनी बात रखी। इस दौरान आयोजक संस्था ने जागरूक परक साहित्य का वितरण किया गया। छात्रों ने आयोजन स्थल पर ‘जंगल के हैं क्या उपकार’ मिट्टी पानी और बयार, वन हैं तो जीवन है तथा हम सबका है एक ही नारा, जंगल सुरक्षित हो हमारा जैसे नारों से लोगों को जागरूक करने का काम किया। स्कूल के प्रबंधक संजय चंद, हेम चंद्र जोशी, सुंदर कार्की आदि ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी धन सिंह मेहता, वन विभाग के मुकेश बुधियाल, अभिषेक सहित स्कूल स्टाफ व स्थानीय लोग मौजूद थे।
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