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पिथौरागढ़ : भावुक व ऐतिहासिक क्षण : देश के प्रति बलिदान और 77 वर्षों के त्याग का प्रतीक

शहीद द्वार का भव्य उद्घाटन, भारत माता की जय’ और ‘शहीद पूर्णानंद अमर रहें’ के नारों गूंजा क्षेत्र

सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के बड़ाबे गांव में 1948 के युद्ध में वीरगति को प्राप्त तीन पैरा स्पेशल फोर्स के सिपाही पूर्णानंद जोशी की स्मृति में निर्मित शहीद द्वार का भव्य उद्घाटन हुआ। समारोह में बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक, स्कूली बच्चे, मातृशक्ति और आमजन उपस्थित रहे।

सिपाही पूर्णानंद जोशी मात्र 20 वर्ष की आयु में देश की रक्षा करते हुए 05 जून 1948 को जम्मू-कश्मीर के शौलाटेक इलाके में पाकिस्तानी सेना से संघर्ष के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए। उस समय उनकी पत्नी धना देवी केवल 14 वर्ष की थीं। पति की शहादत के बाद उन्होंने आजीवन साध्वी रूप में जीवन व्यतीत किया। 91 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने पति की स्मृति में बने इस द्वार को साकार होते देखा, जो सभी के लिए भावुक और ऐतिहासिक क्षण रहा।

 

पूर्णानंद जोशी का जन्म 14 अप्रैल 1921 को बड़ाबे के मल्लागांव में दुर्गादत्त जोशी और कुंती देवी के घर हुआ। 14 अप्रैल 1944 को वे कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हुए और बाद में तीन पैरा (स्पेशल फोर्स) में स्थानांतरित हुए। 1948 में जम्मू-कश्मीर युद्ध में उन्होंने अदम्य साहस दिखाते हुए पाक सेना को पीछे हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इसी दौरान शत्रु की गोलियों का शिकार हो गए।

 

कई वर्षों तक उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिला, जिसे उनके भतीजे गिरीश चंद्र जोशी ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर दिलाया। भतीजे गिरीश चंद्र जोशी और विधायक मयूख महर के सहयोग से गांव में शहीद द्वार का निर्माण किया गया। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि विधायक मयूख महर, वीरांगना धना जोशी और पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष मेजर ललित सामंत ने द्वार और स्मृति पटल का अनावरण किया।

 

इस अवसर पर तीन पैरा के पूर्व सैनिक, स्थानीय पूर्व सैनिक, ग्रामीण और शहीद के परिजनों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। समारोह में वीरांगना धना जोशी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया, जबकि गिरीश चंद्र जोशी को संगठन की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कार्यक्रम का संचालन कैप्टन लक्ष्मण देओपा ने किया।

 

इस अवसर पर शहीद परिवार के गिरीश जोशी, प्रयागदत्त जोशी, पूर्व सैनिक एसएम एलडी जोशी, एसएम घनश्याम जोशी, तीन पैरा परिवार के पूर्व सैनिक एसएम रमेश महर, दिवाकर बोहरा, जीएस खांका, प्रहलाद बोहरा, कैप्टन शेर सिंह शाही, कैप्टन प्रकाश सिंह आदि शामिल रहे। कार्यक्रम का समापन ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद पूर्णानंद अमर रहें’ के नारों के साथ हुआ।

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